Tuesday, May 24, 2011

विमलेश


विश्वनाथ शर्मा 'विमलेश' राजस्थान के झुंझुनू जिले से हैं | विमलेश ७० के दशक के राजस्थानी भाषा के एक शानदार कवि थे | अपने समय में 'विमलेश' जी ने कई राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलनों में शिरकत की | इन्हें "काका हाथरसी" सम्मान से भी नवाज़ा गया | इन्होने राजस्थानी भाषा में कई हास्य-व्यंग्य कविताओं की रचना की है | शेखावाटी अंचल से संबंध होने के कारण इनकी कविताओं में शेखावाटी बोली का प्रभाव अधिक है |


प्रसिद्ध हास्य कवि सुरेन्द्र शर्मा विमलेश को अपना प्रेरणा स्रोत मानते थे | सुरेन्द्र शर्मा की कविताओं में 'विमलेश' का अक्स अत्यधिक देखने को भी मिलता है | विमलेश की कुछ खास रचनाएँ इस प्रकार हैं,



रामकथा (राजस्थानी में राम काव्य)

नो रस में रस हास्य (हास्य कविता संग्रह)

शकुंतला (प्रबंध काव्य)
गीता (राजस्थानी पद्यानुवाद)
सतपकवानी (राजस्थानी कविता संग्रह)
छेड़खानी (राजस्थानी कविता संग्रह)
कुचरणी (राजस्थानी कविता संग्रह)
ठिठोऴी (राजस्थानी कविता संग्रह)
टसकोऴी (राजस्थानी कविता संग्रह)
कुछ हँसना कुछ रोना (गीत संग्रह)
वेदना (कविता संग्रह)
प्राणों की छाया (गीत संग्रह)
विकास गीत (विकास सम्बन्धी रचनाएँ)
अनामिका (लघु काव्य )
मैंने क्या क्या किया (हास्य कथा संग्रह)
एक मिनिस्टर एक छिपकली (राजस्थानी कविता संग्रह)



'विमलेश' सेवा निवृति तक झुंझुनू शहर के सेठ मोतीलाल महाविद्यालय में कला संकाय में विभागाध्यक्ष के पद पर रहे | शराब के प्रति उनके लगाव और अक्खड़ स्वभाव के कारण उनकी बहुत से रचनाएँ अप्रकाशित भी रह गयीं, वे एक जबरदस्त आशुकवि भी थे | उनकी रचनाएँ ज्यादा लोगों तक नहीं पहुँच पाने का एक कारण राजस्थानी भाषा में साहित्यिक विकास के प्रति लोगो में उपेक्षा का भाव होना भी है | उनके राजस्थानी साहित्य के योगदान को देखते हुए यही कहा जा सकता है की उनको राष्ट्रीय कवि होने बावजूद क्षेत्रीय स्तर पर उन्हें उतनी ख्याति नहीं मिल सकी जिसके वे हक़दार थे |



कुछ वर्ष पूर्व तक मेरी लायब्रेरी में उनकी दो रचनाएँ "एक मिनिस्टर एक छिपकली" और "टसकोऴी" शोभायमान थीं | परन्तु उनमे से पहली वाली रहस्यमयी तरीके से गायब हो चुकी है और अत्यधिक पुराने संस्करण होने दूसरी भी क्षण-भंगुर अवस्था में है | परन्तु इसे मैंने कुछ वर्ष पूर्व कम्प्यूटरीकृत कर लिया था | यहाँ मैं "टसकोऴी" की ही कुछ रचनाएँ साझा करूँगा | मित्रों से आग्रह है की यदि उनके पास विमलेश की अन्य रचनाएँ है तो वे मुझसे संपर्क करें, मैं उनका आभारी होऊंगा |



विमलेश के व्यक्तित्व संबंधी जानकारी मेरे पास बहुत कम है लेकिन उनका निधन, जहाँ तक मुझे अंदाजा है, करीब १९९२-९३ के आस-पास हुआ | आगामी कुछ कड़ियों में "टसकोऴी" की कुछ कवितायेँ पोस्ट करूँगा |

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1 comment:

  1. आपका अंदाजा बिल्कुल करीब है।वे मेरे पिता के अभिन्न मित्र थे । 95 में वे हमारे घर दिल्ली आए थे।उस समय बीमार थे और मुंह से कुछ भी खाने पीने मैं असमर्थ थे।केवल बर्फ का टुकड़ा मुंह में रख चूसते थे।मेरे पिता ने उन्हें इरविन अस्पताल में चेक कराया था।कुछ दिन बाद दोबारा दिखाना था।वे दिल्ली में ही किसी रिश्तेदार के यहां रुके थे।दुर्भाग्य से उस तारीख से पहले ही मेरे पिता का देहांत हो गया।उसके बाद फिर कभी उनके दर्शन नही हुए।ये 1995 oct के आसपास की घटना है।

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