Saturday, February 5, 2011

नारी तुम केवल भोग्या हो


        एक जमाना था कि स्त्री को 'सेक्स ऑब्जेक्ट' उर्फ मात्र भोग्या बनाये जाने पर बहुत आपत्ति हुआ करती थी | पर अब नहीं | अमेरिकी चैनल बदलते हुए ऐसा लगता है कि सभी विशेषण 'सेक्सी' में सिमट आये हैं और आधुनिक नारी सेक्सी होने के लए मरी जा रही है | तीसरी दुनिया के देशों तक में ग्लोबल मीडिया की कृपा से यही स्थिति है | मुंबई में जब एक दिग्दर्शक के बातुनी बच्चे को उसकी माँ ने टोका कि जोशी अंकल को पापा से बात करने दो जाओ | तब सनी उवाच, 'मम्मी एक बात कह के चला जाऊंगा, आप आज बहुत सेक्सी लग रही हो |
        आप चाहें इस पर हंस लें, चाहें रो लें | आज अमेरिकी चैनलों पर रिअलिटी उर्फ यथार्थ टीवी के नाम पर ऐसे शो आ रहे हैं कि बुजुर्गों को उन्हें देखते हुए अपने आँख-कान पर विश्वास नहीं होता | 'बैचलर नमक 'शो' में किसी कन्यार्थी को 25 सौभाग्याकांक्षणियों के तन-मन को वस्तुतः ठोंक-बजा कर देखने का सुअवसर प्रदान किया जाता है | हर हफ्ते वह उनमे से कुछ को कंडम ठहराता जाता है और अंत में किसी एक का वरण कर लेता है | वह धन्य होती है | शेष कैमरे पर आंसू बहाती है |
        इन आधुनिकाओं में से कोई भी उस 'बैचलर' से यह नहीं कहती जरा परे को बैठ और चूमा-चाटी की कोशिश मत कर | अब तक केवल एक भारतीय और एक चीनी स्त्री ने बैचलर को ही कंडम ठहरा कर शो से हट जाने का दुस्साहस किया है और उन्हें कायर ठहराया गया है | 'बैचलर' से भी बदतर है 'यू आर डिस्मिड !' सेक्समय प्रेम-त्रिकोण के इस शो में दो लड़कियां एक लड़के को रिझाने के लिए किसी सुरम्य स्थल पर भेजी जाती हैं | उससे पहले तीनों कैमरे को अपना परिचय देते और रणनीति बताते हैं | फिर दोनों लड़कियों को आपस में मिलाया जाता है और वे हाई-हुई करती हुईं एक-दूसरे का झूठ-मूठ गुणगान करती हैं बाद में कैमरे को अलग-अलग बताती हैं कि मैं इस दूसरी को कैसे चुटकियों में दफा कर दूंगी | फिर लड़का दोनों लड़कियों झप्पी डालते हुए मिल चुकने के बात राजदां कैमरे से कहता है भैया जी अपने तो दोनों ही हाथों में लड्डू हैं | अब शुरू होता है तत्काल सेक्स और प्रेम का खेल | कभी तिकेले तो कभी दुकेले |
        इस खेल में दोनों लडकियां उस लड़के का दिल जीतने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती हैं मानो वह न मिला तो भविष्य अंधकारमय हो जायेगा | अगर यह स्त्री को सेक्स ऑब्जेक्ट बनाना नहीं तो और क्या है ? इन कार्यक्रमों से यही सन्देश तो मिल रहा है न कि पुरुष ही स्त्री के लिए सर्वोत्तम उपलब्धि है और उसे प्राप्त करने के लिए दो ही हथियार हैं - गरमागरम सेक्स अपील और नरमानरम व्यवहार | उपभोग को समर्पित मुक्तमंडी नारी को केवल भोग्या और प्रेम को केवल सेक्स बना देने को संकल्पबद्ध है |
        कुछ वर्ष पहले किसी अमेरिकी पत्रिका में नयी चेतना के विकास की यह बानगी पढ़ने को मिली थी | पहले बच्चियां बच्ची-जैसी गुड़िया से खेलती थीं | फिर ऐसी गुड़िया से खेलने लगी जो सेक्सी और औरत-सी दिखती हों | और अब वे स्वयं औरतों-सी दिखना चाहती हैं और फैशन उद्योग उनकी इस 'मांग' की पूर्ति में जुटा हुआ है | सवाल यह है कि वे नव-वामपंथी महिलायें कहाँ बिला गईं जो मीडिया की इस बदतमीजी को खत्म कराने के लिए कमर कसे हुए थीं ? वे भाषा में 'ही' की जगह 'शी', 'मैन' की जगह 'पर्सन' कराने, साहित्य का पाठ्यक्रम बदलवाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में जुटी हुईं हैं | ऐसा लगता है कि मुक्तमंडी की विश्वविजय के बाद स्वयं नव-वामपंथ ने जरुरी को गैर-जरुरी और गैर-जरुरी को जरुरी बनाने के मुक्तमंडी-अभियान में हाथ बंटाना शुरू कर दिया है | इधर अमेरिकी स्त्रियों का सर्वोच्च संगठन महिलाओं को मेंबर न बनाने वाले एक गोल्फ क्लब के पीछे लट्ठ लेकर पड़ा हुआ है | मुक्तमंडी का मीडिया इस मुद्दे को खूब उछाल भी रहा है |
        वह जानता है कि ऑगस्टा गोल्फ कल्ब अगर स्त्रियों के लिए अपनी सदस्यता खोल भी देगा तो कोई सामाजिक क्रांति नहीं हो जाएगी | आखिर मेहमानों कि हैसियत से स्त्रियां वहां पहले से ही गोल्फ खेलती आई हैं | और हां, इस तरह के प्रतीकात्मक मुद्दे उछाल कर यह तो सिद्ध किया ही जा सकता है कि आधुनिकाएं सिरफिरी और लड़ाकू हैं और सारे वामपंथी सामाजिक दृष्टि से अतिवादी हैं | इस पर तुर्रा यह कि नया वामपंथ मुक्तमंडी की उछ्रंखलता के विरोध को स्वतंत्रता-विरोध को ठहराते हुए आपको दक्षिणपंथी साबित करने लगता है | अब जैसे किसी अमेरिकी कैंपस में मैं अमेरिकी किशोरियों की दुर्दशा का जिक्र कर रहा था तो एक भारतीय प्राध्यापिका बोलीं, 'मिस्टर जोशी, आपके यू.पी. में कच्ची उम्र में ब्याह दी जाने वाली और सती के लिए मजबूर की जाने वाली स्त्रियों से तो वे कहीं बेहतर स्थिति में हैं |' सठियाये हुए मिस्टर जोशी सोचा किए, 'क्या सचमुच ?'
(30 दिसंबरम, 2002)
- प्रस्तुत लेख 'मनोहर श्याम जोशी' (या यह देखें ) की पुस्तक 'आज का समाज' से उद्धृत है |


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